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VRINDAVAN में होली कब शुरू होती है?

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  VRINDAVAN में होली कब शुरू होती है? बसंत पंचमी के साथ ही 40 दिवसीय होली का आगाज हो गया है। बसंत पंचमी वाले दिन से ब्रज में होली का डांढा गाड़ दिया जाता है। ब्रज की होली अपने आप में एक खास महत्व रखती है। इसी के साथ ब्रज में होली गायन की शुरुआत भी हो जाती है। श्यामा श्याम सलौनी सूरत को शृंगार बसंती है । किशोरी श्याम सलोनी सूरत को सिंगार बसंती है । वृंदावन के श्री बाँके बिहारी मंदिर,राधारमण मंदिर एवं मथुरा के द्वारिकधीश मंदिर, श्री कृष्ण जन्मस्थान में भक्तों पर अबीर डालकर इस दिन होली की शुरूआत हो जाती है। सभी भक्त होली के रंग में रंग जाते हैं। बिहारी जी के मंदिर में सेवायत अपने आराध्य के कपोलों पर लाल और पीले रंग के गुलाल के गुलचप्पे लगाकर शृंगार करते हैं। इस दिन भारत और विश्व के अन्य देशों से हजारों की तादाद में श्रद्धालु बाँके बिहारी जी के दर्शन को पहुंचते हैं। मंदिर की गलियों से ही श्रद्धालुओं का रैला उमड़ पड़ता है। जिस कारण मंदिर में भीड़ का दबाव अत्यधिक होता है। ठाकुर जी के नयनाभिराम दर्शन कर श्रद्धालु खुशी से झूम उठते हैं। इस दिन प्रत्येक भक्त ठाकुर जी के रंग में रंगकर ...

BIHAR PANCHMI

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  बिहार पंचमी क्यों मनाई जाती है?  बिहारी जी प्रकट कैसे हुए थे? इस बार बिहार पंचमी 17 दिसंबर को पड़ रही है। ब्रज क्षेत्र में यह दिन एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि आज के ही दिन संवत 1567 की माघशीर्ष शुक्ल पंचमी को बांके बिहारी जी प्रकट हुए थे। बिहारी जी के विग्रह को 200 सालों तक निधिवन में ही पूजा जाता रहा। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गोपाल चतुर्वेदी बताते हैं कि जब स्वामी हरिदास सखी भाव से विभोर होकर अपने आराध्य राधा कृष्ण की महिमा का गुणगान करते थे तो वह उनकी गोद में आकर बैठ जाते थे। एक दिन स्वामी जी के शिष्य विट्ठल विपुल ने हरिदास जी से कहा- आप जिन प्रिया प्रियतम का स्वयं दर्शन करके स्वर्गिक आनंद प्राप्त करते हैं उनके साक्षात दर्शन हम लोगों को भी कराइए। स्वामी हरिदास जी ने प्रिया प्रियतम का गाना गाया।  माई री सहज जोरी प्रगट भयी, जुरंग की गौर श्याम घन दामिनी जैसे।  लगभग पद का गान पूरा होते ही निधिवन में एक लता के नीचे से प्रकाशपुंज प्रकट हुआ। इसमें एक दूसरे का हाथ पकड़े प्रिया प्रियतम प्रकट हुए।                   ...

ABOUT VRINDAVAN TOUCH

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     WHAT IS VRINDAVAN TOUCH?   वृन्दावन टच जैसा कि आपको नाम से ही पता चल रहा होगा। कि मतलब रहो वृन्दावन के टच में। राधे कृष्ण के वे भक्त जो वृन्दावन नहीं आ पाते उन्हें वृन्दावन से वर्चुअली जोड़ने हेतु बनाया गया है। जिस हेतु हमारी टीम पूर्णतः प्रयासरत है।                     हमारी Tagline है - Bhakti Too Much  With  Vrindavan Touch                   हम आपको अपने चैनल के द्वारा वृन्दावन व ब्रज क्षेत्र से जुडी हुई वे जानकारियाँ प्रदान करने की कोशिश में लगे हैं जिनसे आप आज तक अछूते हैं। लेकिन अब आपको हमारे साथ जुड़कर बेफिक्र होकर वृन्दावन के टच में रहने की आवश्यकता है। आप हमसे Instagram, YouTube और Facebook के जरिये भी जुड़ सकते हैं।