VRINDAVAN में होली कब शुरू होती है?

 

VRINDAVAN में होली कब शुरू होती है?

बसंत पंचमी के साथ ही 40 दिवसीय होली का आगाज हो गया है। बसंत पंचमी वाले दिन से ब्रज में होली का डांढा गाड़ दिया जाता है। ब्रज की होली अपने आप में एक खास महत्व रखती है।



इसी के साथ ब्रज में होली गायन की शुरुआत भी हो जाती है।

श्यामा श्याम सलौनी
सूरत को शृंगार बसंती है ।
किशोरी श्याम सलोनी सूरत
को सिंगार बसंती है ।

वृंदावन के श्री बाँके बिहारी मंदिर,राधारमण मंदिर एवं मथुरा के द्वारिकधीश मंदिर, श्री कृष्ण जन्मस्थान में भक्तों पर अबीर डालकर इस दिन होली की शुरूआत हो जाती है। सभी भक्त होली के रंग में रंग जाते हैं। बिहारी जी के मंदिर में सेवायत अपने आराध्य के कपोलों पर लाल और पीले रंग के गुलाल के गुलचप्पे लगाकर शृंगार करते हैं। इस दिन भारत और विश्व के अन्य देशों से हजारों की तादाद में श्रद्धालु बाँके बिहारी जी के दर्शन को पहुंचते हैं। मंदिर की गलियों से ही श्रद्धालुओं का रैला उमड़ पड़ता है। जिस कारण मंदिर में भीड़ का दबाव अत्यधिक होता है। ठाकुर जी के नयनाभिराम दर्शन कर श्रद्धालु खुशी से झूम उठते हैं। इस दिन प्रत्येक भक्त ठाकुर जी के रंग में रंगकर आत्मिक आनंद की प्राप्ति करता है। इस दिन बंदरों का चश्मा,मोबाईल और पर्स छीनने का धंधा कई गुना बढ़ जाता है जिससे उन्हे फ्रूटी समेत कई खाद्य सामग्रियों की प्राप्ति होती है इसीलिए यह दिन उनके लिए भी खास अहमियत रखता है।

इस दिन ठाकुर जी के प्रकाट्यकर्ता स्वामी हरिदास जी द्वारा रचित केलीमाल के पदों का गायन भी किया जाता है। मंदिर के सेवायत गोपी गोस्वामी केलिमाल के पद का गायन करते हुए बताते हैं।

प्यारी जैसो तेरो आँखिन में मैं होँ अपनपौं देखत,
तैसो तुम देखति हो किधौं नाहीं ||
हौं तोसौं कहौं प्यारे, आँखिन मूंदी रहौं,
लाल निकसि कहूं जाहिं || 

स्वामी हरिदास जी को बसंत अत्यंत प्रिय है। उनके द्वारा केलिमाल के 110 पद रचित हैं। उनके द्वारा सबसे ज्यादा पद बसंत पर लिखे गए जिनको 40 दिनों तक गाया जाएगा।

वृंदावन के लिए बसंत पंचमी इसलिए भी खास है क्यूंकी इस दिन शाह जी मंदिर का बसंती कमरा भी भक्तों के लिए खुलता है।

वृंदावन में कात्यायनी स्थित एक मात्र सरस्वती मंदिर है जहां पर बसंत पंचमी दिन हवन कर आहुति दी जाती है।

अभी तो मैंने अपने शब्दों के माध्यम से बहुत कम बयां किया है।

 

Comments

Popular posts from this blog

BIHAR PANCHMI

ABOUT VRINDAVAN TOUCH